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Dineshkumar Singh

Abstract

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Dineshkumar Singh

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आखिर क्या है घर?

आखिर क्या है घर?

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आखिर क्या है

घर?

आखिर, क्या है

घर?


चार दीवारें

उस पर छत

एक खिड़की

एक दरवाजा

और एक चौखट?


चार लोगों की

चार जिंदगियाँ

कुछ आंसू

कुछ खुशियाँ

कुछ भरे भरे

कुछ खाली पल?


खाना पीना,

पढ़ना, लिखना,

सोना जगना

या बस साथ में

रहना?

झगड़ों का शोरगुल या,

उसके बाद के सन्नाटो

की आहट?


कोई बताये और समझाये,

आखिर क्या है घर?

आखिर क्या है

घर?


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