दोस्ती का धागा
दोस्ती का धागा
दोस्ती का धागा दिखता नहीं,
पर होता जरूर होगा,
आखिर अनजान लोग
कैसे जुड़ जाते हैं?
दोस्ती का तार दिखता नहीं,
पर बिजली बहती जरूर होगी,
आखिर खुशियों के बल्ब
कैसे जल जाते हैं?
दोस्ती कोई सितार नहीं,
पायल की झंकार नहीं,
पर आखिर दोस्ती में,
सरगम के हर सुर
कैसे निकल आते हैं?
दोस्ती कोई इंद्रधनुष नहीं,
फूलों की बगिया भी नहीं,
पर आखिर
जीवन के सब रंग उसमें,
कैसे उभर आते हैं?
दोस्तों की दोस्ती में
हर बार, हर बात हो,
ऐसा जरूरी नहीं,
पर आखिर निःशब्द,
फिर भी हर भाव, वो
कैसे समझ जाते हैं?
इसे ही कहते हैं दोस्ती,
और दोस्ती का धागा ...