सफलता
सफलता
' सफलता ' एक संघर्ष सुमन है ।
खिलता जो श्रम उपवन में है ।।
धैर्य लगन सिंचित उर्वरा उदक से।
कठिन परिश्रम की उर्वि फलक से ।।
मिलता जब पोषण सतत सघन है ।
तब पुष्पित होता जीवन में है ।।
यह एक ऐसा कर्म फलज है ।
प्राप्ति नहीं जिसकी सुगम सहज है ।।
रस रूप गंध बढ़कर अमृत से ।
चिर प्रभाव ऊर्जा आवृत से ।।
पाता वहीं जिसका भाग्य सघन है ।
और अनवरत उद्यम उन्नयन में है ।।
लक्ष्य ये दुष्कर अति असाध्य है ।
मंजिल नहीं कोई सरल साध्य है ।।
पर ध्येय प्रयोजन की दृढ़ता से ।
कर्ता की नित क्रियाशीलता से ।।
हो नतमस्तक करती अभिनंदन है ।
मिल साथ जहां के गाती वंदन में है ।।