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Mithilesh Tiwari

Abstract

4.7  

Mithilesh Tiwari

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सफलता

सफलता

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' सफलता ' एक संघर्ष सुमन है ।

खिलता जो श्रम उपवन में है ।।

धैर्य लगन सिंचित उर्वरा उदक से।

कठिन परिश्रम की उर्वि फलक से ।।

मिलता जब पोषण सतत सघन है ।

तब पुष्पित होता जीवन में है ।।


यह एक ऐसा कर्म फलज है ।

प्राप्ति नहीं जिसकी सुगम सहज है ।।

रस रूप गंध बढ़कर अमृत से ।

चिर प्रभाव ऊर्जा आवृत से ।।

पाता वहीं जिसका भाग्य सघन है ।

और अनवरत उद्यम उन्नयन में है ।।


लक्ष्य ये दुष्कर अति असाध्य है ।

मंजिल नहीं कोई सरल साध्य है ।।

पर ध्येय प्रयोजन की दृढ़ता से ।

कर्ता की नित क्रियाशीलता से ।।

हो नतमस्तक करती अभिनंदन है ।

मिल साथ जहां के गाती वंदन में है ।।

       

    


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