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Mithilesh Tiwari "maithili"

Abstract Inspirational

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Mithilesh Tiwari "maithili"

Abstract Inspirational

माँ

माँ

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अस्मिता से जिसकी

फूटा अंकुर तेरे जीवन का

 रक्त कणों से सींचा 

सुरक्षा कवच पहनाया 

 ममता की उष्मा का  

लगा दिया दाँव में


निज सत्ता को भी

तुझे नव-जीवन देने में

असीम वेदना को भी

हँस- हँस झेला गह्वर में  

खुद सोई गीले में


तुझे सुलाया आँचल में

तेरी एक आह पर

सौ-सौ आहें भरती

तेरे हर सुख को

पलकों से चुनती

कामयाब हुआ जो जीवन में


वो भी है उसकी दुआएंँ

चूर हुआ जिसके मद् में

वो तो है जीवन की क्षणिकाएँ

फिर विस्मृत हुआ तुझे

क्यों कर्तव्य बोध ज्ञान


भुला उस सत्ता को

रखा निजता का भान

आज शान्ति पाती जब

तेरे झुरमुट की छाया में

छोड़ दिया दामन तुमने


संध्या की इस बेला में

अभिज्ञान नहीं इतना भी

क्या सुन पाएगा कोई

 उसकी दर्द भरी आहों को


 क्या पढ़ पाएगा कोई

 उन शून्य भरी निगाहों को

 क्षण -भंगुर है ये माया

 फिर क्यों मन भरमाया

  तोड़ आज निजता का अभिमान

 रख उस माँ की ममता का मान।


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