मातृछाया सासू माँ को समर्पित
मातृछाया सासू माँ को समर्पित
कसीदे क्या लिखूँ
मैं, माँ की आन में है।
हीरक रूप में देखूँ
जडा़ जो मेरी शान में है।।
दे दीं वो सारी खुशियाँ
जो जीवन में जरूरी हैं।
महका दीं वो केसर कलियाँ
जो बिन मधुमास अधूरी है।।
खिले 'गुलाब' के जैसे
सदा खुशबू लुटाती हैं।
काँटो के बीच कैसे
वाजिब़ राह दिखाती हैं।।
बारिश धूप से टकराती
अडिग छाजन हमारी हैं।
हर पल प्यार बरसाती
सुधा सावन सुहानी है।।
मेरी हर साँस में बसी
माँ का एहसास कराती हैं।
मेरे प्रियतम की धड़कन में रमी
ममता की प्यास बुझाती है।।
हूँ मैं आज नतमस्तक
उनके श्री चरणों में है।
जो खुशियों की दस्तक
देती आर्शीवादों में है।।