तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
लो आज फिर मैंने
रूप को सजाया है तुम्हारे लिए
पूनम की चाँदनी से
धोया तन-मन को मैंने
माथे पर चाँद को सजाया है तुम्हारे लिए
सिंदूरी शाम की
रंगत चुराकर मैंने
तारों से मांग को सजाया है तुम्हारे लिए
रात को बना काजल
आँखों पे लगाया है मैंने
सितारों की चूनर से साज को छिपाया है तुम्हारे लिए
प्रणय लाली से होठों को रंग दो प्रियतम
अब तक इन्हें मैनें
कोरा ही रखा है तुम्हारे लिए ।।