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Rajendra Prasad Patel

Abstract

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Rajendra Prasad Patel

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मेरी हिंदी

मेरी हिंदी

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हिंदी हिंदुस्तान की, भाषा जानो मूल।

पेड़ों की सी जानिए, जाएं नहिं हम भूल।।


डाली पाती जानिए, मेरा हिंदुस्तान।

भाषा हिंदी मूल है, करना है सम्मान।।


हिंदी हिय से चल पड़ी, बिंदी बन है माथ।

कर आदान - प्रदान वह, भाव पिरोये हाथ।।


हिंदुस्तानी हम सभी, हिंदी भाषी लोग।

उससे नफ़रत जो करे, वही हिंद का रोग।।


आम धाम से राज तक, हिंदी में हो काम।

भारत की पहचान वह, शिर दर्दों की बाम।।


मातृभूमि है हिंद निज, हिंदी उसकी गोद ।

जिस पर हम हैं खेलते, प्रेम सहित अति मोद।।


दैवात्मा से निकलकर, बहती गंग प्रवाह।

सागर सी वह अगम है, निर्मल देवे राह।।


 रस पूरित भंवरी अली, कर काव्यालंकार।

नव दुल्हन सी जानिए, मानो है श्रंगार।।


हिंदी अपनी श्रेष्ठ हो, विश्व पटल पर आज।

हर पथ पर अपनाइये, राखें उसको साज।।


राष्ट्रीयता इसको मिले, यही हिंद उपहार।

आओ सब मिलकर भरें, इसमें नव संस्कार।।


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