कविताविश्व कविता दिवस पर मेरी
कविताविश्व कविता दिवस पर मेरी
लगी है होड़ हर एक मोड़,
जीवन के जोड़ में जानिए ।
माध्यम है कविता सविता सी,
छवि दीपमय वो पहचानिए।।
सूत्र वह सामर्थ्य वान धरा,
बांधे जो बिखरे विधान को ।
हर नंद को दे आनंद की ,
धुन जहां में साजे ध्यान को।।
हर दिल की है पुकार पावन,
सावन और सज्जित सार है ।
बागों की खिली कलियां यहां,
महके पनघट की बहार है ।।
दे संदेश प्रकृति का हरदम,
खोल रहस्य हर संभव चले।
मन मंदिर से बहता झरना,
साहित्य सागर के रूप ले।।
जगा चले जग को सपनों से,
यह कविता है निज ओज दिये।
हिम पुंज बिखेरे कण कण में,
शीतल संगम संयोग दिये ।।
इतिहास बने पूनम शशि सी,
दिखलाये परछाईं निज की ।
कविता कुंज कयामत के पथ,
सरस सुधीर बने सरसिज की।।
रस पूरित श्रंगारित शुभ क्षण,
उपमेउपमानों की रज से।
धन्य अरी कविता कुमकुम तू,
नमन करूं मति के मैं तज से ।।
