लेखक
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नमन् मंच
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देखे प्रेम कहानी वो,
लिखा है राह ज्ञानी वो,
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो।।
करे शीतल तपे तल को,
चला देवे रुके पल को ,
समां को यार संबल दे,
सजाये शांति मय कल को ।।
खिलाते फूल महंके नभ,
कली हर डाल प्राणी वो ।
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो।।
बने वह दीप सा दर्पण,
हमें दे देव का तर्पण,
दिखा देवे छिपे क्षिति को,
करे निज नेह का अर्पण।।
खुला दिल लेख लिखता है,
बहा दे प्रेम पानी वो ।
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो।।
जहां किरणें न जाते हैं,
वहां जा फल दिखाते हैं,
अॅधेरी रात बन चंदा,
पूनमी रंग लाते हैं।।
बसेरा दे वसंती का,
पले सावन सुहानी वो।
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो।।
वही कविता कहानी वो
बता इतिहास देता है,
जहां में स्वांस खेता है,
सिखाता जाल बुनना जी,
सभी का रंग लेता है ।।
सजे स्वर और स्वरगम् भी,
यहीं कविता कहानी वो ।।
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो ।।
खुदा की है कलम स्याही,
अगम पथ का बना राही,
सुहागा वो समां जोड़े,
तपे पल का वही छाही ।।
पारस प्राण का कासीम ,
भरे रस है जुवानी वो ।
फला मन मोद मंदिर में,
दिया जग को जवानी वो।।
