अमर शहीद सुभाष बाबू
अमर शहीद सुभाष बाबू
नेता सुभाष को नमन् करते,
जिंदगी अनुभव कर रहा हूॅं ।
जय हिंद के नारों से गुंजित,
नभ को अनुभव कर रहा हूॅं ।।
स्वार्थ पलों को छोड़ चले थे,
आजाद हिंद की रचना कर ।
दिल्ली चलने का नारा देते,
विरुद्ध अंग्रेजों के धरना धर।।
मुझे खून दो मैं आजादी दूॅंगा,
मकसद् एक हिंदुस्तानी का ।
भीगी भीगी वो पलकें लेकर,
अमर धरा के उस ज्ञानी का ।।
भरा जोश था हरा जोश था,
आजादी का वो रक्त लिए ।
मातृभूमि का प्रेम समर्पण,
बलिदानी का पथ वक्त लिए।।
आजाद हिंद का फौज बना,
इंकलाब की ले उमड़ी नारा ।
नहलाते पथ में हर कोई को,
आजादी के उस बहते धारा ।।
दे स्वराज की गूॅंज गगन में,
जगा चले सोये दीवानों को ।
नींद उड़ाई उन अंग्रेजों की,
हिला रहे घाती हैवानों को ।।
वाह वीरों के वो वीर सपूत,
दिल तेरा था हिन्दुस्तानी ।
हिंद धरा का कण कण तेरा,
चाह रहा अमृतमय पानी।।
जिसमें तूने घोल हिंद को,
एक सूत्र में बांधा था ।
हर गोरों को कृषकों की सी,
गाड़ी के जुओं में नाधा था ।।
वह पानी गंगा घाटों की,
पवित्रता के पाठ पढ़ाते थे ।
जिनके लफ़्ज़ों में स्वतंत्रता,
गीतामय हिंदोस्तां गाते थे।।
हिंदोस्तां के थे उबले उफान,
घट घट का मैला धोते थे ।
बीज प्रेम का मातृभूमि से,
जन जन पर उरवत् बोते थे ।।
ॠणी रहेगा हर हिंदुस्तानी,
युगों युगों तक आशाएं ले ।
फिर से आओ यहां हुये हैं,
नेता अब अंग्रेजी अदाएं ले।।
