मैं बहारों के लिए पैदा हुआ हूं
मैं बहारों के लिए पैदा हुआ हूं
मैं बहारों के लिए पैदा हुआ हूँ।
इन नज़ारों के लिए पैदा हुआ हूँ।
मुफ़लिसी औ" बेबसी के इस शहर में,
बेसहारों के लिए पैदा हुआ हूँ ।
बह रहा हूं जल बना इन वादियों में,
दो किनारों के लिए पैदा हुआ हूं।
मैं बना ठंडी पवन का एक झोंका,
इन पहाड़ों के लिए पैदा हुआ हूं ।
प्यार ममता है भरी मुझ में धरा सी,
मैं हज़ारों के लिए पैदा हुआ हूं ।
आग हूं मैं भस्म करता हूं अहम को,
शिव विचारों के लिए पैदा हुआ हूं ।
आसमां हूं अंक में मेरे भरे इन,
चांँद -तारों के लिए पैदा हुआ हूं ।