रंग बरसे
रंग बरसे
होली खेलन आई घर में साली है।
रंग लगाने पर देती वह गाली है
बीवी को हम रंग लगाएँ क्यों कर अब,
घर में आई जब आधी घरवाली है।
होली में सब मिलकर खाते पीते हैं।
रंग लगाकर अपनी खुशियाँ जीते हैं।
रंग हमारे भेद मिटा देता सारे,
नफरत के घावों को हम जीते हैं।
इसीलिए तो होली लगती आली है,
होली खेले आई घर में साली है।
आओ मिलकर खेलें हम होली यारो ।
नफरत की दुनिया को अब गोली मारो।
प्रेम प्यार से अब अपनों का दिल जीतो,
जो भी हुआ, हुआ उस पर मिट्टी डालो।
लगती पारो हम सबको मतवाली है
होली खेले आई घर में साली है।
होली सब में मेल मिलाप कराती है।
दुश्मन को भी अपना मीत बनाती है।
छाती ठंडी करती है तपते दिल की,
इसीलिए तो होली हमें सुहाती है
गले लगाती होली पर घर वाली है,
होली खेले आई घर में साली है।
होली खेलो सूखे रंग लगा कर के।
प्रेम प्यार की मन में जोत जला कर के।
पानी की किल्लत से भी बच जाओ गे,
गाल गुलाल लगाओ द्वेष मिटाकर के।
खेल रही होली से सारी चाली है,
होली खेलन आई घर में साली है।