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Atam prakash Kumar

Classics

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Atam prakash Kumar

Classics

नारी, नारी तब है लगती

नारी, नारी तब है लगती

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नारी, नारी तब है लगती,

आंचल में जब शिशु को भरती।

दूध पिलाती बैठी हो जब,

तब भारत माता सी लगती।


नारी, नारी तब है लगती,

सर पर आंचल जब वह करती,

शर्म-हया की मूरत बन कर,

धरती को भी पावन करती।


नारी, नारी तब है लगती,

जब घर भर की सेवा करती,

हर हालत में दुख सह कर भी,

सब के मन में खुशियाँ भरती।


नारी, नारी तब है लगती,

पूजा पाठ सदा जब करती।

मन्दिर-मस्जिद-गुरुद्वारे में,

वरदानों से झोली भरती।


नारी तो बस नारी लगती,

सब को सुंदर न्यारी लगती।

जीवन भर करती सेवा है,

सब के मन को प्यारी लगती।


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