श्रम कर्ता
श्रम कर्ता
जो किस्मत में हो
वो सभी को मिलता है
लेकिन जो किस्मत में न हो
वह सत्कर्म से ही मिलता है।
कर्म भूमि की दुनिया में
श्रम सभी को करना है
भगवान सिर्फ लकीरें देता है
रंग हमें ही भरना है।
सुर दुर्लभ मानव तन देने वाले का
जो भी शुक्र मनाते है
उनके घर में खुशियों की
होती है बरसाते।
मानव तन पाकर प्रेम न जाना
तो क्या जानेगा ज्ञान को
प्रेम बिना है जीवन सूना
भूल न जाना सत्संग को।
मालिक ने तुझे भेजा है
भवसागर पार जाने को
कितने ऊंचे है भाग्य हमारे
पतवार बना लें माता पिता
गुरु के आशीष को।
सत्कर्म करें आगे बढ़े
भर लें ज्ञान की झोली
हर पल है अनमोल प्यारें
सीखे प्रेम की बोली।
जो किस्मत में हो
वो सभी को मिलता है
लेकिन जो किस्मत में न हो
वह सत्कर्म से मिलता है
श्रम सभी को करना है प्यारें।