पतझड़ भी मधुमास हो गया।
पतझड़ भी मधुमास हो गया।
जिस के मैं का नाश हो गया ।
वह ईश्वर का दास हो गया।
काम राम के करता है जो,
आम नहीं, वह खास हो गया।
खुली हवा में ज़हर घुला है,
मुश्किल लेना साँस हो गया।
मौत सामने ऐसी आई,
जीवन ही उपहास हो गया।
तुम आए तो ऐसे लगता,
घर-घर सावन मास हो गया।
विपदा पड़ने पर वह आता,
मुझको यह विश्वास हो गया।
मौसम ने क्या करवट बदली,
पतझड़ भी मधुमास हो गया।