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Atam prakash Kumar

Comedy

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Atam prakash Kumar

Comedy

हास्य और व्यंग्य पर कुछ कुंडलियाँ

हास्य और व्यंग्य पर कुछ कुंडलियाँ

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टुन-टुन सी बीवी मिली,बच्चे गोल मटोल।

जब मिल यह पलटन चले, धरती जाय डोल।

धरती जाय डोल,लगे भूचाल आ गया,

और वक्त से पहले जैसे काल आ गया।

कह "कुमार"पक गए कान फरियादें सुन-सुन,

भैंस सरीखी काली-मोटी मेरी टुन-टुन।।१।।


बीवी मेरी एक है,औ" बच्चे हैं आठ।  

खाने को रोटी नहीं,हों फिर कैसे ठाठ।

हों फिर कैसे ठाठ,घूमने जाएँ कैसे,

महँगाई है इतनी,जेब नहीं हैं पैसे।

कह "कुमार"ऊपर से मुझ से माँगे टी वी,

बच्चों के संग मिल जाती है मेरी बीवी।।२।।


साली मेरी चुलबुलि ,है वह मेरी जाँ।

हर पल रखती है वही,यारो मेरा ध्यान।

यारो मेरा ध्यान, रखे यूँ तो घरवाली,

लेकिन साली की होती है बात निराली।

कह "कुमार" वह करती है बातें मत्वाली,

हर पल खुशियाँ देती है जीजे को साली।।३।।


साली आधी घरवाली,कहते लम्पट लोग।

मन में उनके पाप है,तन में उनके रोग।

तन में उनके रोग,निकालण भी वह कैसे,

बुद्धि उनकी खाली,जेब भरे हैं पैसे।

कह "कुमार" वे देते हैं रिश्तों को गाली,

बहन सरीखी होती है जीजे को साली।।४।।



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