पड़ोसन
पड़ोसन


एक दिन मामला ऐसा बिगड़ा
कि पड़ोसी पड़ोसन का हो गया आपसी झगड़ा।
मेरे से सहा न गया
पड़ोसन से रहा न गया
उसने मुझको किया इशारा
मैंने भी गुस्से से उसके पति को दे ललकारा।
देखकर मुझको पडोसी जोर जोर से चिल्लाया,
स्वभाव से नर्म हूं, इसका मतलब यह नहीं आपकी तरह बेशर्म हूं,
इसको देखकर कांप जाता हूं,
बोलते बोलते हांफ जाता हूं,
इसलिए कम बोलता हूं
मजबूर होने पर ही कुफर तोलता हूं,
मैंने कह दिया कैसा फिर यह झगड़ा,
अपनी वीवी को बालों से क्यों पकड़ा,
मुझसे सहा नहीं जाता नित रोज का यह झगड़ा,
पडोसी घूर के बोला,
शादी के हो गए दस साल
अक्ल न आई सफेद हो गए
सर के सारे बाल,
आपकी बीवी तो अभी बच्ची है,
मगर तुम से अच्छी है,
उसका चेहरा चांद सा चमके
इसको देख मन नहीं धमके,
रखती नहीं चीजें संभाल
इसकी निराली है हर बात,
रूमाल की जगह डाल दिया था इसने मौजा, <
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पता चला जब पैंट में मैंने खौजा,
एक दिन अटैची खोलकर घबरा गया,
पजामें की जगह इसने पेटीकोट डाल दिया,
यही है इसका रोज रोज का धंधा तभी होता नित रोज झगड़ा और पंगा।
मायके जाये आने का नाम नहीं लेती,
लेने जाऊं तो किराया भाड़ा नहीं देती,
साड़ी लेकर सौ की पांच सौ की बताती,
हर बात में मुझे उल्लू बनाती,
ले जाओ इसे बनालो अपनी घरवाली,
नहीं करनी पड़ेगी तुझे
मेरे घर की रखवाली।
सुनकर बात पडोसी की
सुदर्शन बहुत घबराया,
घर में आते ही बीवी ने वेलन दे चलाया,
सर फोड़ दिया कहकर तू है बहुत लफंगा,
अपनी संभाली नहीं जाती,
लेता है पड़ोसन से पंगा,
निकला नहीं उस दिन से
अपने घर से बाहर,
पड़ोसन तो बच निकली
मुझे न मिली राहत।
कहे सुदर्शन छोड़ दो पड़ोसन को देखना
झगड़ा हो या पंगा
तरस खाना पड़ोसन का वर्ना,
पड़ेगा सबको मंहगा।