होली
होली
गोल दिए हैं रंग इस जमाने के, आ जाओ
मिलने सब, इसी बहाने से।
मत बनाओ बहाने रूठ जाने के,
भरी है पिचकारी लगेगा रंग निशाने पे।
गुलाल प्यार से लगाउँगा, रूठों, को फिर मनाउँगा।
आई है बीते बर्ष की फिर से याद, रंग जब लगाया था
तुझे मैंने लाल।
आज पीले रंग से रंग दूं गा तेरे गाल,
भूल जायेगा लगाया जो था पहली बार।
तेरे होठों को सुरखी लगा दूँगा,
लाल रंग से जब लाइनर बना दूँगा।
दोनों मिल कर खेलेंगे प्यार से होली,
लगा लेना तू भी करके आँख मिचोली।
कर दूँगा रंगों की खूब बौछार,
याद रहेगा अगले बर्ष तक दोंनो का प्यार।
पिचकारी पे पिचकारी मारूंगा, हरे,
नीले, पीले रंग से तुझे सजा दूँगा।
देख कर आईना अपना चेहरा भूल जाओगे,
नहीं उतरेगा सतरंगी रंग बहुत घबराओगे।
प्यार भरा यह रंग अपनों की याद दिलाता है,
दूर हो जाते हैं, शिकायतें, शिकवे अपना जब रंग लगाता है।
होली का त्यौहार यही याद दिलाता है,
गुल मिल जाओ आपस में सब यह समय वापिस कब आता है।
याद आती है हमें बचपन में खेलते थे, जब होली,
मिलजुल कर सब बच्चे बना लेते एक टोली,
दिखते थे लाल, पीले, नीले सब, करते थे मौज मस्ती।
आओ खूब नाचें गाएं,
मिल जुल कर होली मनाएँ, रंगों के संग धूम मचाएं,
सभी अपनों को गले लगाएँ।
