हम लड़कियां
हम लड़कियां
हमारे ऊपर जिम्मेदारियां होती हैं
और हमें घर को चलाना है
बाहर के काम हो या ना हो
घर का खाना जरूर बनाना है !
कंधे से कंधा मिलाकर चलती
आत्मसम्मान की भूखी होती हैं
तुम्हारे सामने बहुत हंसती होंगी
पर अंधेरे कमरे में ये खूब रोती हैं !
हम लड़कियां छिपकली और
कॉकरोच से तो डर जातीं हैं
जिंदगी के बड़ी बड़ी मुश्किलों
चुपचाप ही लड़ जाती हैं !
हम लड़कियां सारे घर सजाती हैं
पर अपना घर बनाना भूल जातीं हैं
कभी मायका छोड़ो कभी ससुराल पर
वापस लौट कर कभी नहीं आती हैं!
सम्मान का अधिकार दे देना
भले जायदाद ना हमारे नाम करो
हम लड़कियां कुछ नहीं चाहतीं
बस हमें सच्चे दिल से प्यार करो!