योग कर
योग कर
रोग वाली बदलियाँ छट जाएंगी बस योग कर
तितलियां उत्साह की मंडराएंगी बस योग कर
कुर्सियों पर बैठ कर खुद को बनाया पिलपिला
परत मोटापे की भी हट जाएंगी बस योग कर
मानसिक अवसाद लेकर घूमता है दर-ब-दर
प्रातः बेला शांत मन से बैठ के बस योग कर
रक्त के संचार में जो हो रही है गड़बड़ी
योग से सारी नशें खुल जाएंगी बस योग कर।।
डॉक्टर को फीस मोटी दे रहा है बेबजह
रुग्ण काया पुष्प सी खिल जाएगी बस योग कर
द्वेष की कालिख ज़मी है हृदय के आगार में
प्रेम के साबुन से वो छुट जाएगी बस योग कर
चरमराती हड्डियां है लड़खड़ाते हैं कदम
कैल्शियम की गोलियां फिक जाएगी बस योग कर
कब्ज़ से आंतें है जकड़ी घूमता लोटा लिए
चार दिन में गैस भी मिट जाएगी बस योग कर
पेट निकला थुलथुला तो रह गया बिन ब्याह के
लड़कियों की लाइनें लग जाएगीं बस योग कर
व्यग्र मस्तिष्क में नहीं सुविचार आते हैं कभी
'देव' तेरी पंक्तियाँ लिख जाएगी बस योग कर।।