अज़ब-गज़ब
अज़ब-गज़ब
सर्कस अज़ब-गज़ब है मदारी अज़ब-गज़ब
हर शख़्स पे चढ़ी है ख़ुमारी अज़ब-गज़ब
जब से हक़ीम लाया है नुस्ख़े नए-नए
हर रोज हो रही है बिमारी अज़ब-गज़ब
पहुंचेंगे हम मुक़ाम तक है राम भरोसे
चालक भी अनाड़ी है सवारी अज़ब-गज़ब
ज़र्ज़र खड़ा मकान है सामान बिक गया
होती नहीं ये कम है उधारी अज़ब-गज़ब
कंगाल करके हमको दिख रहा है खुश बहुत
बन ठन के घूमता है भिखारी अज़ब-गज़ब
मंदिर के चढ़ावे को भी कर जाता है हज़म
भगवान का मालिक है पुजारी अज़ब-गज़ब
कांटा ही निकलता है जिसे सींचते हो तुम
क़िस्मत है देव कैसी तुम्हारी अज़ब-गज़ब।।