मुहब्बत
मुहब्बत


हमें कैसे बचा लेगी मुहब्बत
है लगता मार डालेगी मुहब्बत
उसे तो जान लेनी है हमारी
दुपट्टा क्यों संभालेगी मुहब्बत
अगर देखूंगा उसको सामने से
नज़र अपनी झुका लेगी मुहब्बत
मुझे देखेगी छिप के खिड़कियों से
नज़र हम पे ही डालेगी मुहब्बत
कभी जो याद तड़पाएगी उसको
तो ख्वाबों में बुला लेगी मुहब्बत
नहीं डर है सज़ा का देख लेंगे
सज़ा को भी सजा लेगी मुहब्बत
करे गर देव चलने का जो वादा
कोई रस्ता निकालेगी मुहब्बत।।