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Savita Verma Gazal

Romance

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Savita Verma Gazal

Romance

तुम और तुम्हारी यादें

तुम और तुम्हारी यादें

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जानते हो कितना दर्द 

देती हैं

तुम्हारी यादें औऱ तुम

दोनो ही सताते हो 

हर पल ,हर घड़ी

याद हैं वो सर्दियों की 

गुनगुनी धूप जब तुम 

और मैं


बैठे थे दोनों एक-दूसरे का 

हाथ ,हाथ में थामे

होंठ चुप थे मगर

बात हो रही थी

आँखो ही आँखों में 

दोनो के बीच के मौन में 


शामिल थी थोड़ी शर्मोहया

मैं सोचती तुम शुरू करो 

सिलसिला बातों का

और शायद सोच रहे थे तुम भी 

यही सब

दिन ढलने लगा

सूरज की लालिमा एक अलग ही 

रुप धारण किये थी

मानो वो भी कह रही हो 

हम दोनों से


कितने पागल औऱ बुध्धू हो 

तुम दोनी

पूरा वक्त यूँ ही गँवा दिया व्यर्थ 

वो भी सच में जान नहीँ पायी 

कि कितना कुछ कहा-सूना 

हमने खामोशी में भी


अब मुस्कुरा रहे थे तुम औऱ मैं 

तुम्हारे होठो कुछ कह रहे थे 

सुना मैंंने

बहुत खूबसूरत हो तुम

क्या मुझे जीवन भर का साथ मिलेगा ?


मैंने भी आँखों ही आँखों में 

कर दिया इकरार बस फ़िर से 

एक औऱ मुलाकात का वादा कर 

चल दिये हम दोनों 

अपनी-अपनी राह

मैंं आज भी कर रही हूँ 

प्रतीक्षा तुम्हारी पर शायद भूल गये हो 

तुम !


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