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Savita Verma Gazal

Inspirational

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Savita Verma Gazal

Inspirational

हाँ, मैं स्वतंत्र हूँ

हाँ, मैं स्वतंत्र हूँ

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"हाँ' मैं स्वतंत्र हूँ"

नव रवि की नव किरणों संग

नया सवेरा आएगा।

जब न होगा अखबारों में

किसी के चरित्र हनन का समाचार।

जब ना होगा सना लहू से किसी

की ममता का आँचल।

जहाँ ना सिसकता होगा 

ढेर पे कचरे के बचपन।

जहाँ सभी को मिल पाएगी इज्जत की रोटी।

जहाँ गरीबी के कारण कोई ना

अपनी जान गंवाएगा।

पढ़ा -लिखा हर बच्चा जब शिक्षा की जोत जगायेगा।

जहाँ ना जिंदा दुल्हनों को दहेज की

आग जला ही पाएगी।

गली-गली और चौराहों पर 

जब कोई शैतान नहीं होगा।

घर की चार दीवारी में भी जब ना

होंगे अस्मत के हत्यारे।

खुले आसमान में जब देश की 

बेटियां मुक्त उड़ान भर पाएंगी।

मात-पिता जहाँ वृद्धावस्था में

वृद्ध आश्रम नहीं भेजे जाएंगे।

बेटे और बेटियों को जब अधिकार एक से

मिल जाएंगे।

झूम उठेगा तब दिल मेरा और गर्व से 

तब हर देशवासी ये कह पायेगा।

हाँ' मैं स्वतंत्र हूँ।

हाँ मैं स्वतंत्र हूँ।।

हाँ, मैं स्वतंत्र हूँ।।।



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