लव यू जिंदगी
लव यू जिंदगी
खुद से खुद में संवरने लगी हूँ मैं।
आईना में खुद को फिर
से निहारने में।
टूटे सपनों की किरचें
बिखर गयी थी जो।
अपनों की दी हुई चोट से
उन्हें आज ..
फिर से चुन रही हूँ
और कुछ नये
ख़्वाब बुनने लगी हूँ मैं।
वो पाले हुए है खुशफहमी कि
मिटा दिया है अस्तित्व मेरा।
अरे ! और भी मजबूत व अडिग
हिमालय सी बनी हूँ मैं।
एक -एक दर्द रखा है मैंने
संभालकर वक्त कीअलमारी में।
वो सही समय देखकर
सौंप देगा सब तुझे।
तेरी दी टूटन,फरेब सब ..
एक नए सिरे से की है शुरुआत
जिंदगी की।
जहाँ नहीं है अनचाहे रिश्तों की
जिंदा लाशें।
न तानाकशी ही।
ऊब चुकी थी पल-पल
मरने से थोड़ा-थोड़ा।
जानती हूँ उस गड्ढे से होकर ही जाती थी
सीढ़िया मेरी सफलता की।
तो मुक्त होना भी था जरूरी बहुत जरूरी।
जो है यही पल तो है बस
जी रही हूं जी भर
इसी पल को।
हर सुबह कहती हूँ
हर पल कहती हूँ
लव यू जिंन्दगी।
लव यू जिंदगी।।
लव यू जिंदगी।।।
सविता वर्मा "ग़ज़ल""लव यू जिंदगी"
खुद से खुद में संवरने लगी हूँ मैं।
आईना में खुद को फिर
से निहारने में।
टूटे सपनों की किरचें
बिखर गयी थी जो।
अपनों की दी हुई चोट से
उन्हें आज ..
फिर से चुन रही हूँ
और कुछ नये
ख़्वाब बुनने लगी हूँ मैं।
वो पाले हुए है खुशफहमी कि
मिटा दिया है अस्तित्व मेरा।
अरे ! और भी मजबूत व अडिग
हिमालय सी बनी हूँ मैं।
एक -एक दर्द रखा है मैंने
संभालकर वक्त की
अलमारी में।
वो सही समय देखकर
सौंप देगा सब तुझे।
तेरी दी टूटन, फरेब सब
एक नए सिरे से की है शुरुआत
जिंदगी की।
जहाँ नहीं है अनचाहे रिश्तों की
जिंदा लाशें।
न तानाकशी ही।
ऊब चुकी थी पल-पल
मरने से थोड़ा-थोड़ा।
जानती हूँ उस गड्ढे से होकर ही जाती थी
सीढ़िया मेरी सफलता की।
तो मुक्त होना भी था जरूरी बहुत जरूरी।
जो है यही पल तो है बस
जी रही हूं जी भर
इसी पल को।
हर सुबह कहती हूँ
हर पल कहती हूँ
लव यू जिंन्दगी
लव यू जिंदगी
लव यू जिंदगी।