कुछ यादें आती हैं
कुछ यादें आती हैं
खामोश सी रातों में करवटें जब बदलती हूं,
उन अकेली सी सड़कों पर गुमसुम जब चलती हूं,
देखती हूं उन तस्वीरों को जब,
तुम, मैं और वह पल, याद आ जाता है सब,
कुछ यादें आती हैं।
तुमसे बात कर लूं चाहे हर लम्हा,
तब भी रोज रात देखती हूं कुछ ऐसा ही सपना,
मैं, तुम, हम साथ हैं,
चांदनी है, प्यारी सी हवा है और महकी सी मुलाकात है,
फिर मुस्कुराती हूं आंखें खोलकर और,
कुछ यादें आती हैं।
मिलेंगे हम कब? अब तो सवेरा भी करें यह सवाल मुझसे,
फिर सब बिताए पल और जो वादे किए थे तुझसे,
सब याद आते हैं,
चलो एक और वादा करते हैं और जल्दी से मिलते हैं, क्योंकि,
कुछ यादें आती हैं।
अब जब मिलेंगे तो एक प्यारी सी झप्पी देना,
कुछ अपने हाल सुनाना, कुछ इधर उधर की बताना,
अपना कुछ अंदाज़ दिखाना, कुछ प्यारा सब बस मुस्कुरा देना,
क्योंकि यही तो वह पल होंगे जो फिर मिलने तक,
यादें बनकर आएंगे, दोहराएंगे।