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Charvi Malhotra

Abstract Fantasy

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Charvi Malhotra

Abstract Fantasy

क्या हो आगर वह रुक जाए !!

क्या हो आगर वह रुक जाए !!

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जिसमे करती पूरी दुनिया विश्वास। 

क्या हो अगर वह एक जगह कर ले वास ?


जिसके चलने से होता दिन, रात, सवेरा। 

क्या हो अगर वही कर ले रैन बसेरा ?


चलती न दुनिया बिना जिसके। 

लगेगा कैसा बिना उसके ?


जिसके हिसाब से चलता दौर ।

क्या हो अगर आ जाए

उसकी जगह कुछ और ?


ऊंची नीची जिसके साथी।

क्या हुआ अगर वह

छोड़ दे हमारा साथ ही ?


बहुत अच्छा, वह बुरा,

वह सबका हमदम।

कभी सुख देता, कभी दुख देता,

कभी निकाल देता दम।


करोगे जब अच्छा काम

तभी पाप आओगे उसका वरदान।

कभी समझदार, कभी नादान।

वह है वक्त बलवान।


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