तोहफ़ा
तोहफ़ा
यूं तो मिलें हैं तोहफ़े हज़ार
कुछ चाहा , कुछ अनचाहा
कुछ प्यारा कुछ पसंदीदा
कुछ प्रतिक्षित , कुछ अप्रत्याशित
कुछ यूं ही बेमतलब , बेमकसद
मगर सबसे लाजवाब तोहफ़ा
मिला.......
वो है तुम्हारा लौटकर आना
बीहड़ जंगलों से , ऊंचे पहाड़ से
कठिन डगर और दुश्मनों के नगर से
तपती रेत , झुलसती तपिश से
नित निरंतर होती बरसात से
कोबरा के संग लुका छुपी से
पचास डिग्री के नीचे तापमान से
दुश्मन देश के चंगुल से
सुरक्षित , सम्मानित और एक कीर्तिमान स्थापित करते
शौर्य के साथ
तुम्हारा लौटकर आना ....
मेरा श्रेष्ठ गौरवशाली तोहफ़ा
तुम्हारा लौटकर आना ।