सालगिरह
सालगिरह
शादी की सालगिरह आ गयी
कुछ गुजरी घड़ियां याद आ गईं,
बरसों का सफर कैसे गुजर गया
कभी खुशी, कभी गम में
जीवन निकल गया,
पीछे पलटकर देखता हूँ तो
बीस बरसों की उपलब्धियाँ
अनेक पाता हूँ
हर हाल में अपने साथ
तुमको ही खड़ा पाता हूँ,
घर-गृहस्थी और आत्म-संतुष्टि का भाव
तुम्हारे चेहरे पर रोज ही पाता हूँ,
पति-पत्नी गाड़ी के दो पहिये है
बात सही मैं पाता हूँ,
सालगिरह जैसी खुशी का भाव
रोज पाना चाहता हूँ
गुजरे सुहाने पलों की
चिर-स्मृति संजोना चाहता हूँ,
विश्वास है अनवरत हमारा साथ
युँ ही चलता रहेगा,
चाहे जो रहे मंजर
अटल यूं ही बना रहेगा।