STORYMIRROR

ATAL KASHYAP

Others

4  

ATAL KASHYAP

Others

बालमन

बालमन

1 min
236


उधेड़ रहा था

अंतर्मन की परतें

बालदिवस के रोज,

देखा तो अंदर हो गयी 

बालमन की खोज,

हुई फिर जिज्ञासा 

पूछा उससे,

क्यों नहीं करता 

अब तू मौज, 

सुनकर मेरी बात बालमन ने 

उतार डाला अपना बोझ,

सयानेपन की स्याही ने 

खतम किया मेरा ओज,

हँसी-ठिठोली को तजकर

दिया खुद ही गम्भीरता का रोग,

देखकर बालमन की पीड़ा 

लिया फिर संकल्प 

उस रोज,

नटखट नादानियों का 

देना होगा,

बालमन को डोज।

           


Rate this content
Log in