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ATAL KASHYAP

Abstract

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ATAL KASHYAP

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वृद्धाश्रम

वृद्धाश्रम

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यूज़ एंड थ्रो का चित्र आँखों के सामने आया, 

जब वृद्धाश्रम में एक माँ-बाप को पाया, 

सुदूर गगन में उड़ती पतंग से डोर का साथ छूटता पाया, 

जिन माँ-बाप के पैरों को छूते ही लंबी उम्र का आशीष पाया,


उन्ही पैरों को वृद्धाश्रम की दहलीज पर पाया, 

जीवन की ढलती साँझ पर अपनों ने क्या रंग दिखाया, 

अपने ही घर से पराया कर बेघर कर डाला, 

जिस वटवृक्ष की छाँव पायी जिन की ऊँगली पकड़कर जीवन की राहें बनायीं, 


उसी वटवृक्ष को उजाड़ दिया दौलत और जायदाद की

लालसा ने माँ-बाप होकर भी खुद को अनाथ दिखा दिया, 

आयुष्मान भवः और दूधो नहाओ,

पूतो फलो का आशीष आज भी उनका मन बारम्बार देता है, 


फिर भी बच्चों को यह समझ नहीं आता है, 

अपनी जड़ों से कटकर पौधों का अस्तित्व मिट जाता है, 

फिर किसी वृद्धाश्रम में आगे के लिए हमारा नाम भी लिख जाता है।  


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