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ATAL KASHYAP

Others

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ATAL KASHYAP

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सफेद कमीज

सफेद कमीज

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थी वो सफेद कमीज

कुछ ज्यादा जान से प्यारी, 

आत्मा मेरी बसती थी,

दी थी अम्मा ने मुझे 

शहर जाते, 

सिलकर अटैची में रख दी थी,

पहनी थी जब भी 

वह सफेद कमीज 

अम्मा की कमी न खली थी,

था वह 

सफेद कमीज का जादू,

पहनकर हर जगह 

सफलता मिली थी,

थी उस 

कमीज की जगह खास,

अटैची में सबसे ऊपर की जगह 

उसे ही हमेशा मिली थी,

था लगाव 

उस कमीज से ऐसा, 

रफू होकर भी 

नई मुझे दिखती थी,

थी मेरी खरीदी 

कई मंहगी कमीजें,

पर 

अम्मा की कमीज के आगे 

कोई न टिकती थी।

           


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