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ATAL KASHYAP

Tragedy

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ATAL KASHYAP

Tragedy

निम्न मध्यमवर्गीय लड़के

निम्न मध्यमवर्गीय लड़के

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है हम निम्न मध्यमवर्गीय 

घरों के लड़के,

देख घर की माली हालत 

बड़े शहरों का रूख कर लेते है,

ढूँढकर एक अदनी सी नौकरी 

परिवार की उम्मीद बन जाते है,

होते है बहुत खुश 

जब छुट्टी लेकर तीज-त्यौहार पर 

दो-तीन दिन के लिए घर जाते है,

करते है घरवालों के लिए खरीददारी

अपनी पगार को 

पूरा लुटा देते है,

सुनाते है अपनी नौकरी 

और शहर के किस्से खाने में

अपनों के चेहरे पर 

खुशी टटोलते दिख जाते है,

नहीं बताते 

रहने और खाने का संघर्ष,

हंसी चेहरे पर लाकर 

धीरे से बात घुमा देते है,

होते है जब भी 

वापिस घर से शहर,

मुड़कर बार-बार 

छूट गया कुछ 

सोचते नजर आते है,

ठानते है जब भी

छोड़कर सब कुछ 

घर-वापिसी को,

पर करेंगे क्या 

यह सोचकर रूक जाते है,

न रहता सुकून 

नौकरी और शहर में,

बस

बेमन ढोते जाते है,

जाते है जवानी लेकर शहर 

बुढ़ापा लेकर ही लौट पाते है।

             


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