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मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

4  

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

Tragedy

गांव

गांव

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356


शहरों सा झुलस रहा है अब गाँव

पीपल रहा न चौक में, मिट गई ठंडी छांव


जल-जंगल सभी हो गये यहॉं लापता

कंक्रीट के जंगलों ने पसारा चहुं ओर पांव

शहरों सा झुलस रहा है अब गाँव


ताल-तलैया, नदी-पोखर, कुए सब सूखे

मानव बनकर दानव खेल रहा स्वार्थ के दांव

शहरों सा झुलस रहा है अब गाँव  


कोख हुई धरती की बंजर देखो आज

हर जीव भटक रहा, मिले न किसी को ठांव

शहरों सा झुलस रहा है अब गांव 


पेड़-पौधों को काट रौंद दी सारी प्रकृति 

डूब जाएगी आने वाली नव पीढ़ी की नाव

शहरों सा झुलस रहा है अब गांव


साथी ! अगर धरती बचानी है अपनी तो,

प्रकृति प्रेम की और बढ़ाओ अब पांव

शहरों सा झुलस रहा है अब गांव!



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