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SAURABH musafir

Tragedy Inspirational

4.7  

SAURABH musafir

Tragedy Inspirational

मेरे मन

मेरे मन

1 min
510


मेरे मन तुम खुद को न रोको ।

रहती दुनिया की तरफ देखो।।


कोई माँ है जो सड़कों पर रहती,

भूखे पेट के लिए दर-दर भटकती,

इस दुनिया पर है किसका साया?

खाना किसने नहीं आज खाया?

क्या वजह है तुम इसका सोचो ।           


मेरे मन तुम खुद को न रोको ।

रहती दुनिया की तरफ देखो।।


बेटी को अपने पेट में ही आज मारा ,

यूं खोया किसने है बुढ़ापे का सहारा?

था सोया हुआ हैवान है कहां जागा ?

आज शादी में किसने दहेज है मांगा?

क्या वजह है तुम इसका सोचो ।           


मेरे मन तुम खुद को न रोको ।

रहती दुनिया की तरफ देखो।।


किसके मन में है आज पाप आया?

बूढ़े मां-बाप को जो घर से भगाया,

फिर किसने है आज जहर खाया ?

अपनी बहू को किसने है जलाया?

क्या वजह है तुम इसका सोचो ।           


मेरे मन तुम खुद को न रोको ।

रहती दुनिया की तरफ देखो।।


हो रही क्यों आज सभी को दिक्कत ?

फिर लुटी किसी लड़की की इज्जत?

देखो बन गया फिर आज कौन दरिंदा ?

धर्म के नाम पर खाया लोगों को जिंदा ,

क्या वजह है तुम इसका सोचो ।           


मेरे मन तुम खुद को न रोको ।

रहती दुनिया की तरफ देखो।। 

                   


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