मेरे मन
मेरे मन
मेरे मन तुम खुद को न रोको ।
रहती दुनिया की तरफ देखो।।
कोई माँ है जो सड़कों पर रहती,
भूखे पेट के लिए दर-दर भटकती,
इस दुनिया पर है किसका साया?
खाना किसने नहीं आज खाया?
क्या वजह है तुम इसका सोचो ।
मेरे मन तुम खुद को न रोको ।
रहती दुनिया की तरफ देखो।।
बेटी को अपने पेट में ही आज मारा ,
यूं खोया किसने है बुढ़ापे का सहारा?
था सोया हुआ हैवान है कहां जागा ?
आज शादी में किसने दहेज है मांगा?
क्या वजह है तुम इसका सोचो ।
मेरे मन तुम खुद को न रोको ।
रहती दुनिया की तरफ देखो।।
किसके मन में है आज पाप आया?
बूढ़े मां-बाप को जो घर से भगाया,
फिर किसने है आज जहर खाया ?
अपनी बहू को किसने है जलाया?
क्या वजह है तुम इसका सोचो ।
मेरे मन तुम खुद को न रोको ।
रहती दुनिया की तरफ देखो।।
हो रही क्यों आज सभी को दिक्कत ?
फिर लुटी किसी लड़की की इज्जत?
देखो बन गया फिर आज कौन दरिंदा ?
धर्म के नाम पर खाया लोगों को जिंदा ,
क्या वजह है तुम इसका सोचो ।
मेरे मन तुम खुद को न रोको ।
रहती दुनिया की तरफ देखो।।