पर होगा नहीं !
पर होगा नहीं !
हमने पुकारा तो बहुत
पर तुम आए नहीं ।
हम तुम्हारे हैं
पराए नहीं ।
साथ तो बहुत दिया हमने
पर तुम निभाए नहीं ।
आँखें बंद हो तो
चेहरा तेरा ही
याद आता है
पर आँखें खुले तो
तू नज़र आए नहीं।
मन तो करता है
जितना दर्द दिया तुमने
सूद समेत लौटा दूँ
पर हमसे ये
हो पाएगा नहीं।
तुम्हें भी एहसास हो जुदाई का
दिल रोए
पर आँसू आए नहीं।
मौसम कितने बदल गए
पतझड़ गया, सावन आया
जमीन भिंगी
पर मुझे भिगोई नहीं।
घड़ी की सुइयां
कितनी बार मिली
कितनी बार बिछड़ी
पर मेरा समय
बदला ही नहीं।
सवाल तो अनेको हैं
पर जवाब मिलेगा नहीं।
ना आँखें ना जबान
जाहिर करते हैं
इशारे बहुत किए
पर उसको तो
कुछ समझ आया ही नहीं।
असीमित आसमान है
पंख हैं उम्मीदों के
पर उड़ पायेंगे नहीं।
कैद हूँ केवल
तेरे ही ख्यालों में ।
सोचती हूँ ये पिंजरा
मेरे गुस्से से टूट जाए
पर ये आजादी
हासिल हो पाएगा नहीं।
मन मस्तिष्क में
तू ही तो बसा है
जी करता है
तुझे निकाल फेंकूँ
पर हमसे हो पाएगा नहीं।
ऐसा एक क्षण आएगा
मुझे यकीन है
लौटोगे तुम
पर मुझसे मिल पाओगे नहीं।