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Rekha Maity

Inspirational

4  

Rekha Maity

Inspirational

ईश्वर की संरचना " माँ"

ईश्वर की संरचना " माँ"

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निशब्द रह जाती हूँ 

अक्षरों का ढेर 

कहीं खो जाता है ।

करोड़ों भाषाएँ भी 

अधूरी रह जाती हैं ।

किसी शब्दकोष़ में 

इसकी परिभाषा नहीं ।

माँ ऐसी होती है 

जिसकी कोई 

परिसीमा नहीं होती। 


ईश्वर की सवोर्तम रचना ,

धरती पर उनका है प्रतिरूप ,

क्यों ईश्वर को ढूँढता इधर- उधर ,

हर घर में है उसका स्वरूप ।


परमात्मा के कंधों पर था ,

सारे ब्रह्मांड का कार्यभार ,

कैसे और क्या क्या संभाले ,

ये करने लगे विचार ।

अकेले कैसे सबकी जिम्मेदारी संभालू ,

सबको कैसे खुशियाँ दूँ ,

कैसे उनके दुःख दर्द हर लूँ ,

असमंजस में फंसा भगवान ।

एक उपाय सूझा 

करता हूँ एक आविष्कार ।

एक नयी संरचना 

और बना दिया “माँ” ।

 

मेरी सारी शक्तियां ,

मेरे सभी गुण ,

तैयार कर दूँ ,

मेरी परछाई ,

नव जीवन की उत्पत्ति ,

जीवन को संजोना ,

हर कला में सक्षम ,

सबसे उत्तम और उपयुक्त ,

ऐसी हो मेरी कृति ।

दूत बनाकर भेज दूँ धरती पर ,

और हो जाऊँ निश्चिंत ।


परिवार की नींव ,

धनश्री और अन्नपूर्णा ,

घर की वैद्य ,

अंधेरे में उजाला ।

निराशाओं में उम्मीद की डोर ,

संतान की संरक्षक ,

परिवार का अभिमान ,

घड़ी से भी तेज ,

समय भी इससे हारे  

सारे बिगड़े काम वो ही संवारे ।

ज्ञान का भंडार ,

हमारी प्रथम और अंतिम गुरू ।

खुशियों की चाभी ,

कष्ट क्लेश हरने वाली 

ईश्वर की छवि ।

परमात्मा की सम्पूर्णता 

अकेली किन्तु पूर्ण है ।

माँ, माता, जननी, आई 

अम्मा, मम्मी, बा, अम्मी 

कोई भी नाम से

पुकारो या न पुकारो 

सुन लेती है हमारी आवाज़ 

सबकी माँ ऐसे ही होती है ।


सबसे सुंदर ,सबसे अनमोल ,

अतुलनीय और अपारशक्ति है ।

सरस्वती , लक्ष्मी, दुर्गा ही नहीं 

विपत्ती में काली भी है। 

रानी लक्ष्मीबाई, जीजाबाई 

इतिहास और वर्तमान में 

अनेकों उदाहरण हैं 

माँ के बलिदानो के ।


ईश्वर के अंतर्मन में ,

एक सवाल उठा ।

कैसी संरचना कर डाली ?

स्वयं के प्रयासों से ,

बुध्दिमता से, उच्च विचारों से ,

सुहृदय से, ममत्व से ,

माँ ने सर्वोत्तम स्थान पा लिया

माँ तो बन गई मेरी उत्तराधिकारी ।


करते हैं ईश्वर को अनंत आभार 

माँ को बनाकर 

किया हम पर असीमित उपकार ।

संपूर्ण ब्रहमाण्ड करता है 

सभी माता जननियों को 

शत-शत नमन ।



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