उड़ान हौसलों की
उड़ान हौसलों की
हौसले की बौनी सी उड़ान मैंने भी भरी हौले हौले से,
फतह करना चाहती हूँ आसमां को अपने मजबूत इरादों से।
मन से कमजोर मैं कभी कभी यह सोच कर होता रहा,
कोई मुझे पीछे धकेल ना दे दिल मेरा घबराता रहा।
आसमां को छूने की कोशिश में कितनी बार जमीन पर गिरें,
जाने कितनी उलझनों को पार करते हुए हम आगे बढ़े।
औरों के लिए बहुत जी लिया मैं
अपनी उड़ान भरना बाकी है,
पूरे करने है खुद के सपने वो जद्दोजहद बाकी है।
विश्वास, हिम्मत, हौसला ले मैं चलता रहा अपने सफर की ओर,
छूता रहा कामयाबी के कदम आसमां की पकड़ कर डोर।।