लाचारगी
लाचारगी
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भूख प्यास लाचारगी और गरीबी की कोई जात नहीं होती है,
बाँटते है लोग खाना को पर ये मत समझना उनकी औकात नहीं होती है ।
बन्दे है हम ईश्वर के धर्म, जात, मजहबी विभाजन दूर कर,
मुसीबत के वक्त सब यदि साथ चले तो करामत होती है ।
खुदा के दरबार में मिलकर सभी चलो आज सजदा करते हैं,
हर लम्हा सभी करे अरदास सभी तो अच्छी बात होती है।
ना जाने क्या हुआ चमन में लोगों के चेहरे अब बदलने लगे हैं,
रात भर पहलू में रहते हैं राब्ता देखो कहाँ मुलाकात होती है।
माहौल कैसे धीरे-धीरे अखरने लगा है मन के अंतस में,
रिश्तों की चाहत में सुना है कभी शह और मात होती है।।