फना हो भी जाऊँ
फना हो भी जाऊँ
फना हो भी जाऊँ तेरे इश्क में तू मुझे मिलेगा क्या,
मेरे इश्क का लाल रंग कभी तुम पर चढ़ेगा क्या।
मेरी दिल्लगी को तुम ने मज़ाक बना कर छोड़ दिया,
खूबसूरत फिजाओ में फिर से ये महकेगा क्या।
हम तुम पर बेपनाह प्यार लुटाते रहे अपना मान,
तेरे इश्क का गहरा रंग कभी मुझे संवारेगा क्या।
इश्क से लबरेज़ रहा करती थी नज़रें जिनकी,
उन नज़रों से मेरी नज़रों का मिलन हो पायेगा क्या।
आरज़ू "राज " की हर पल तुम्हें ही पाने की रही,
ज़ख्म तूने दिल को दिये वो कभी भरेगा क्या ।।