ऐसा नहीं कि मुझे चाँद चाहिए
ऐसा नहीं कि मुझे चाँद चाहिए
ऐसा नहीं कि आज मुझे चाँद चाहिए,
वतन में हो खुशहाली मुझे विश्वास चाहिए ।
ये जमी ये आसमां ये वतन मुश्किल में है ,
जन जन के चेहरे पर मुझे मुस्कान चाहिए ।
रहो सभी अपने घरों में महफ़ूज आज ,
वक्त की मांग मुझे आज सभी का साथ चाहिए ।
ये मत समझो की घर की चारदीवारी में कैद हो तुम,
अमन चैन की बहार लौट आए ऐसी मुझे बात चाहिए ।
लौट आयेगी फिर से सभी के दरख्तो में रौनकें,
जन्नत बन जायेगी धरा मुझे सुन्दर संसार चाहिए ।
परिंदो की चहक से आज थोड़ा रूबरू हो जाओ,
पंख तुम भी फैला लेना अभी तो मुझे मकान चाहिए ।
जिसने भी सुना इस बीमारी के बारे मे तो रोने लगे,
ये शहर बदनाम हुआ अफवाहों से मुझे दुआ सलाम चाहिए।