" सिर्फ़ तुम "
" सिर्फ़ तुम "
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एक तुम ही हो,
जिसको हम अपना कहते हैं,
एक तुम ही तो हो,
जिसके दिल में हम रहते हैं !
जहाँ में जीते हैं,
जिसके लिए, वो सिर्फ़ तुम हो,
वो तुम ही तो हो,
जिसके वास्ते हम मरते हैं !
एक ख़ुशी है,
जिंदगी में, वो भी तुम से है,
वरना किस्मत में,
मेरी गम हज़ार रहते हैं !