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Parvesh Kumar

Romance Tragedy

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Parvesh Kumar

Romance Tragedy

गज़ल

गज़ल

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जुदा होकर वो मुझसे, 

जाता क्यूँ है !

साथ मेरे ही ऐसा, 

होता क्यूँ है !

कभी खुश था वो मुझको, 

ज़ख्म देकर यारों !

दर्द अब खुद को हुआ, 

तो वो रोता क्यूँ है !

एक मुद्दत से तमन्ना थी, 

उनको पाने की !

आज पाकर हमें, हमको, 

वो खोता क्यूँ है !

जाने कितनी ही रातें, 

बिताई जाग कर हमने, 

उड़ा के नींद मेरी, चैन से, 

वो सोता क्यूँ है !


 


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