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Ervivek kumar Maurya

Romance

4  

Ervivek kumar Maurya

Romance

तुझे जाना मैंने

तुझे जाना मैंने

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तुझे जाना मैंने,तुझे पाया मैंने

तुझे माना मैंने,तुझे पाया मैंने


कहीं भी रहे तू, मैं तेरे संग होता हूँ

जिधर भी चले तू, तेरा साया बन साथ चलता हूँ

मेरी मंजिल का हमसफ़र, तुझे ही पाया मैंने

तुझे जाना....


दो नदियों की धारा से हम

ऐसा लग रहा है, हो न पायेगा हमारा संगम

मैं सागर बन तुझे खुद में समाया मैंने

तुझे जाना....


कारे-कारे बदरा, संग दमक रही दामिनी

तू मेरे संग लिपटी ऐसे, कहीं बीते न यामिनी

मेरी कामिनी हो तुझे ही गाया मैंने

तुझे जाना.....।


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