कितना तुमको चाहते हैं
कितना तुमको चाहते हैं
तारों से कह के आसमान पर नाम तेरा लिखवाते हैं
इतना तुम क्यों समझ न पाते, कितना तुमको चाहते हैं
दिल की हर धड़कन पे बस नाम तुम्हारा है
तेरी चाहत में मुझको लगता सारा जहाँ प्यारा है
जीवन से बढ़कर भी तुमको अपना बनाया है
जीवन कैसे जीना है ये तुमने सिखाया है
दिल के आँगन में पंक्षी जैसे फुदक-फुदक आती हो
प्रेम के दाने चुन कर के फिर तुम चली जाती हो
तेरे खातिर ही मैंने प्रेम के दाने डाले हैं
फिर भी तुम समझ न पाते, कितना तुमको चाहते हैं ।(1)
मेरे प्रश्न तुम्हीं हो, तुम ही मेरे उत्तर हो
प्रश्नों को हल करने में मुझसे तुम बेहतर हो
हल सरल थे इससे जीवन के मांझे सरल हुये
क्षण-क्षण काट के पहुँचे फिर यादों के महल हुये
यादों के महल में मैंने तेरी मूरत सजायी है
पल-पल जाग-जाग के मैंने ये मूरत बनायी है
मेरी साँसों में तुम हो, तुम ही अंतर में हो
मेरे जीवन में तुम,हर मौसम बन के आते हो
तारों से कह के..................................................
इतना तुम क्यों समझ....................................... ।(2)
तुमको शायद लगता होगा ये बातें फिजूली हैं
पर मैं कहता हूँ तुम बिन मेरी दुनिया सूना है
जबसे तुमसे मिला तो मैं ओर नया सा हो गया
जीवन का हर पल मेरा एक सफर सा हो गया
सोच के देखो मेरे खातिर, मैं तो तेरा अपना हूँ
अपनी आँखों में मुझे छिपा लो, मैं तो तेरा सपना हूँ
सारी दुनिया से लड़कर तुझको अपना बना लूँगा
लाके चाँद-सितारों को तेरी माँग सजा दूँगा
अब तो तुम मेरे हो जाओ, तुम बिन हम अधूरे हैं
इतना तुम क्यों समझ...................................
तारों से कह के आसमान पर नाम तेरा लिखवाते हैं ।(3)