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Sanjay Jain

Romance

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Sanjay Jain

Romance

कैसे भूल जाऊँ

कैसे भूल जाऊँ

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हाँ मोहब्बत है मुझे,

अपनी तन्हाई से।

जो तुम्हारे करीब,

ले आती है।

और प्यार के सागर में, 

डूबा देती है।

जहाँ हम अपने को, 

जन्नत में पाते है।।


हाँ मोहब्बत है मुझे,

उन ख्वाबो से।

जो रोज नींद में,

तुम दिखाते हो।

और अपने पास,

हमें बुलाते हो।

और स्नहे प्यार से,

हमें सहलाते हो।


हाँ मुझे मोहब्बत है,

उन गुजरी हुई रातो से।

जो बीता चुकी है,

तुम्हारी याद में।

फिरभी सवाल बहुत है,

मेरे मन में।

जिन का जवाब भी,

सिर्फ तुम हो।


हाँ मुझे मोहब्बत है,

अपने दिल से।

जो धड़कता है, 

सिर्फ तुम्हारे लिए।

हर सांसो में मेरी,

सिर्फ तुम ही बसे हो।

इतना कुछ होते हुये,

मैं कैसे भूल जाऊँ तुम्हें।


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