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Aman Sinha

Romance

4  

Aman Sinha

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जी चाहता है

जी चाहता है

1 min
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है फूलों सी खुशबू तेरे इस बदन में

जी चाहता है मैं साँसों में भर लूँ

अधूरा रहेगा ये इकरार मेरा

पहलूँ में अपने जो तुझको ना भर लूँ


हंसी से तेरी खिल जाती है कलियाँ

जगमग सी हो जाती है तेरे आने से गालियां

है किसने मिलाया नशा इस समा में

कदम लड़खड़ाते है देखके तेरी गालियां


मैं ज़िंदा हूँ साँसे लिए जा रहा हूँ

यौवन को तेरी पिए जा रहा हूँ

सरकने ना देना तू सीने से आँचल

ख्वाहिश मनचलों सी किये जा रहा हूँ


तेरी हर हाय को बस मैं जानता हूँ

तेरी हर अदा को मैं पहचानता हूँ

छुपा के जो रख्हा है दिल तने अपना

वो मेरा ही हक़ है ये मैं मानता हूँ


दवा का असर और दुआ की कसर है

बिन तेरे मुझपे ये सब बेअसर है

है मुमकिन नहीं सब तराज़ू में रखना

मेरे सारी हरकत पर तेरी नज़र है


झिझकते हुए तेरी बातों को कहना

मेरे साथ अनजानी राहों पर चलना

ये मैं जानता हूँ या तू जानती है

मजा क्या है तड़प में मोहब्बत की जलना


सफर है ये लंबा मगर काट लेंगे

आपस में अपने हम ग़म बाँट लेंगे

मिलेंगे ज़ख़्म ये हमको पता है

वफाओं की पट्टी हम बाँध लेंगे


बातों में अपनी तू उलझा के रख ले

सवालों के मेरी तू सुलझा के रख ले

जताना तभी तू अपनी वफ़ा को

जब मुझे अपनी आंखों में बसा के तू रख ले।


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