रंग की बारिश
रंग की बारिश
तन से मन तक,
रूह से सांस तक,
भीगा है ए रंग,
क्यों रखे आपस में बैर,
चलो सब खेलते हैं होली,
राधे-श्यामके संग।
दो दिन का ये सफर,
क्या झगड़ा क्यों मारामारी,
सबको तो जाना है एकदिन,
फिर कियूं लागिहै बेकरारी।
सफर जिंदेगीका ,
नाजाने कब किधर जाए,
लालच के प्यार में,
इंसान कितना दुःख पाए।
मिलना है तो मिलके रहेगा,
मगर आलस की माला पे नहीं,
जिंदगी की गाड़ी ऐसी दौड़ती रहेगी,
मगर अंजाम में कुछ नहीं।
रे बाबरा ना हो इतना नासमझ,
प्यार से खुसी मिलती है,
हवस को ना खुला छोड़,
हैवानियत की आदत बुरी होती है।
भूल जा सब गीले सिकबे,
सब संग खेल मौज से होली,
साल बाद आई हे मिलन का त्यौहार,
बरस रहा है बारिस लेके रंगों की झोली।

