एक बार फिर
एक बार फिर
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एक बार फिर से ,
ज़िन्दगी को गले लगाया जाए।
मुझे नई उड़ान की आदत होने तो दे,
एक बार फिर खुली आखों में,
मुझे नए सपने देखने के लिए वक्त तो दे।
माना तो इतना आसान नहीं ,
ये जिस रास्ते हम चल पड़े हैं,
बस थोड़ा सब्र तो रख चलना इतना मुश्किल भी नहीं।
चाहे जितनी मुश्किल आए,
कभी मनमें सब्र का बांध तोड़ना नहीं,
यूँ ही खतरा टल जाएगा ये हरवक्त का मेहमान तो नहीं।
चुन चुन के रखना होगा कदम राहों पर,
ना जाने किस वक़्त क्या हो जाए,
कभी भी ना बैठ जाना इतना जल्दी हार मानकर।
अपनी नजरों को ना करना इधर उधर,
बस निगाहें बने रखना अपनी मंजिल पर,
एक ना एक दिन मंजिल खुद आएगी तुम्हारी राहों पर।
