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subrat kumar jena

Tragedy

3  

subrat kumar jena

Tragedy

हैरान हूं मैं

हैरान हूं मैं

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ये जिंदगी तू भी क्या,

ना जानूं में ना जाने तू,

कैसी है ये उतार चढ़ाव,

हैरान हूं मैं


बिखरते हुए सपनों को देख,

जितने प्यार से गुंथी हुई,

वो माला के हर फूल,

आज अर किसके बहकावे में

प्यार उलझा है,


आपनो ओर पराये के धोखे से,

कब क्या हो जाए

हर पावँ पर बारूद के खान,

एक गलती,

पल भर में खत्म जिंदगी

ना कुछ दिखेगा,

ना कुछ सुनेगा,

चारों और सन्नाटे,


बस आतंक का कोहराम

हैरान हूं मैं,

ऐसे हालात साहिन बाग में,

जो बनगया है जबरन का अड्डा,

क्या है ये,


समझाने पर समझते नहीं,

बस इन्हें चाहिए आजादी

इस धरती से,

जन्नत तक जहाँ सिर्फ धुंआ हैं धुंआ।


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